श्रेष्ठता की अजब जंग

आज दोपहर ही माँ जी ने फरमान सुनाया शाम को फलाने चाचा जी के यहाँ खाना खाने जाने है फलाने चाचाजी की धर्मपत्नी यानि की हमारी फलानी चाचीजी कल ही शादी के बाद पहली बार अपने घर (ससुराल) आई है और आज उनकी चूल्हा चौकी (हमारे गाँव में जिसे रोटी छुवाई भी बोलते है ) कि रस्म है जिसमे घर परिवार और मोहल्ले के कुछ सम्मानीय सदस्य शाम को फलाने चाचजी के यहाँ दावत पर आयेगे,मुझे भी जाना था

शाम को मै अपने बुआ जी के लड़के के साथ फलाने चाचजी के यहाँ दावत पर पंहुचा वहाँ दावत चल रही थी इसलिए मै और मेरे बुआ जी लड़का साइड से खड़े हो गए कुछ देर में मेरा एक दोस्त आ गया वो गाँव में ही एक प्राइवेट स्कूल में आचार्य है हम तीनो कुछ देर इधर उधर की बाते करने लगे और मेरा दोस्त कुछ देर बाद चला गया अब मै और मेरा भाई जो की मेरे बुआ जी का लड़का है दावत में सम्मिलित होने के लिए वह पहुचे जहाँ दावत हो रही थी


हम दोनों बाकि लोगो के साथ दावत में सम्मिलित हुए सभी खाना खा चुके थे की तभी दो सदस्यों में " श्रेष्ठता की जंग " होने लगी कि ज्यादा खाना खायेगा वैसे वो दोनों भी मेरे फलाने चाचा लगते है मोहल्ले के रिश्ते से दोनों ने पूड़ी मंगवाना प्रारंभ किया और दोनों खाना खाने के उपरांत भी 12 12 पूड़ियाँ खा गए और अंत में मेरे वो वाले फलाने चाचाजी विजय हुए इस श्रेष्ठता की जंग में जो की पहलवान है



वैसे गाँवो में ऐसी रोचक जंगे अक्सर चलती रहती है अगर आपके गाँवो में भी रोचक जंगे होती है तो मुझे जरुर बताये आपके उत्तर की प्रतीक्षा में 


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