‘काश उसने गले लगा लिया होता’

हमारी प्रेम कहानी एकदम फिल्मी थी. वही पहली नजर का प्यार. शायद यही वजह थी कि मन के किसी कोने में एक उम्मीद थी कि इस कहानी का अंत भी ज्यादातर हिंदी फिल्मों की तरह ही होगा, सुखद. हमने बहुत नहीं सोचा था प्यार करने के पहले, लेकिन एक बार प्यार हो जाने के बाद जरूर हमने आगे सोचना आरंभ किया. यही वजह थी कि मैंने ऐसे पत्रकारिता संस्थान में दाखिला ले लिया


 जो नौकरी दिलाने का वादा भी करता था. मैं थोड़ी हड़बड़ी में इसलिए भी था कि उसके घरवाले लड़का तलाश रहे थे. किस्मत और मेहनत रंग ला रही थी. संस्थान में दाखिला भी हो गया. लग रहा था कि अब सब कुछ एकदम ठीक हो जाएगा, लेकिन हिंदी फिल्मों की तर्ज पर नाटकीय मोड़ आना ही था सो आया. कोर्स में दाखिला लेने के एक महीने के भीतर ही उसकी शादी तय हो गई.